अनुशासन नियमावली


गुरुकुल के कुशल संचालन संबंधी नियमों का पालन करना अनुशासन कहलाता है। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम।अनुशासन से मनुष्य की सारी शक्तियाँ केंद्रित हो जाती हैं और व्यक्ति एकाग्र हो जाता है। प्रकृति भी सभी कार्य ईश्वर निर्मित अनुशासन में ही करती है जैसे सूर्य समय पर उदय होता है और समय पर ही अस्त होता है। अनुशासनप्रियता विद्यार्थी के जीवन को जगमगा देती है। आत्मानुशासित व्यक्ति अपने शरीर, बुद्धि, मन पर नियंत्रण स्थापित कर अपने लक्ष्य को सुगमता से प्राप्त कर लेता है।

  1. यह कन्या गुरुकुल है, अतः इस गुरुकुल में केवल बालिकाओं (लड़कियों) का ही प्रवेश होता है|
  2. गुरुकुल का पाठ्यक्रम पूर्णकालीन आवासीय अध्ययन है और यह प्राचीन वैदिक ब्रहचर्य आश्रम व्यवस्था के सिद्धांतों से संचालित है|
  3. छात्रा के लिए पूरी निष्ठा के साथ गुरुकुल आश्रम की दिनचर्या का पालन करना अनिवार्य है।
  4. छात्रा को शिक्षणावधि में बिना अनुमति के माता-पिता / अतिथि / आगन्तुकों से बात करने की अनुमति नहीं है।
  5. छात्रा को मोबाइल, लेपटोप, आइ-फोन, आइ-पेड, हार्डडिस्क, पेनड्राइव, पैसे आदि रखने की अनुमति नहीं है।
  6. प्रत्येक छात्रा को गुरुकुल में अध्ययन काल तक ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करना अनिवार्य है।
  7. छात्रा के लिए बिना अनुमति के गुरुकुल की सीमा-रेखा से बाहर जाना मना है। छात्रा के रूग्ण होने पर सामान्य रोग में स्थानीय वैद्य से उपचार करवाया जाता है| विशेष परिस्थिति में अभिभावक को सूचित कर दिया जाता है|
  8. अपने कार्य बालिका को स्वयं ही करने होंगे।
  9. अपनी पर्याय के झाड़ू आदि कार्य दायित्त्वपूर्वक करने होंगे।
  10. प्रातः उठने, सन्ध्या, यज्ञ में जाने आदि के नियम सावधानीपूर्वक पालन करने होंगे। विरुद्ध आचरण होने पर दण्ड प्राप्त होगा।
  11. प्रातः उठने का समय ब्रह्ममूर्त में ४ बजे है, सायं सोने का समय ९ बजे है। उठने, सोने के नियम को दृढ़ता से पालन करना होगा।
  12. गुरुकुलीय शिक्षा में वैसे तो अवकाश नहीं होता, पुनरपि प्रारम्भ में ५ वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् अवकाश प्राप्त होगा, पुनः २ वर्ष के पश्चात् ही  अवकाश मिलेगा।
  13. प्रातः उठने से लेकर यज्ञपर्यन्त मौन रखना है। रात्रि मन्त्र पाठ के पश्चात्प्  प्रातः उठने तक मौन रखना है, उल्लंघन होने पर ताड़ना अनिवार्य है।
  14. घर के विवाह आदि कार्यक्रमों में जाने का भी कोई अवकाश नहीं होगा।
  15. अभिभावक और बालिका की दूरभाष पर वार्ता आवश्कता पड़ने पर प्रतिमास के अन्तिम रविवार को ही प्रातः ६ बजे से सायं ६ बजे तक ही सकती है।
  16. ब्रह्मचारिणियां अपने संरक्षकों से मास में एक बार से अधिक दूरभाष पर वार्ता नहीं कर सकेंगी। यह दूरभाष भी आचार्या के द्वारा ही हुआ करेगा।
  17. दूरभाष पर नियत दिन को एक बार ही वार्ता करनी होगी।
  18. बालिका अध्ययन काल तक किसी भी प्रकार का आभूषण नहीं पहनेगी।
  19. विद्याश्रम में बालिका को गणवेश के वस्त्र ही पहनने होंगे।
  20. बालिका को अतिथि शाला में जाने की अनुमति नहीं है।
  21. छात्रावास में अभिभावक प्रवेश के समय ही जा सकते हैं, वह भी केवल महिला अभिभावक।
  22. बालिका को बाजार ले जाना भी निषिद्ध है।
  23. हाथों में मेंहदी लगाना, ऊँची एड़ी की चप्पल पहनना नियम विरुद्ध है।
  24. बालों में काली रबड़ एवं काली पतली पिन ही लगाने की अनुमति है, अन्य की नहीं।
  25. पिन भी आवश्यकता होने पर लगानी है, नित्य नहीं।
  26. बालिका को सीधी माँग निकालना है, बालों के अन्य प्रकार बनाने पर बालिका दण्डित होगी।
  27. बालिका अन्य बालिकाओं के अभिभावकों से बातचीत नहीं करेगी, न उनका मोबाइल उपयोग में ले सकेगी|
  28. अपने प्रकोष्ठ को छोड़करअन्य के प्रकोष्ठ में जाने पर भी दण्ड प्राप्त होगा।
  29. भोजन गुरुकुल के नियम के अनुसार शुद्ध शाकाहारी सात्विक ही दिया जाता है| छात्रा द्वारा अन्य भोजन की मांग स्वीकार्य नहीं होगी|
  30. पूर्व सूचना व स्वीकृति के पश्चात् माता-पिता / अभिभावक छात्रा को मिलने के लिए प्रवेश के ६ मास के उपरान्त ही बालिका से मिल सकते हैं। माता-पिता / अभिभावक नियमानुसार पूर्व निर्धारित दूरभाष संख्या से छात्रा से बात कर सकते हैं ।
  31. छात्रा के द्वारा अनुशासन का उल्लंघन करने पर प्रधानाचार्या अनुशासन सम्बन्धित अपेक्षित कार्यवाही करने में पूर्ण स्वतन्त्र है। गुरुकुल के नियम व व्यवस्था का उल्लंघन करने पर छात्रा को होने वाली हानि की उत्तरदायी छात्रा स्वयं होगी।
  32. गुरुकुल की व्यवस्था समिति द्वारा आवश्यकता के अनुसार उपर्युक्त नियम व व्यवस्था में परिवर्तन सम्भव है।
  33. यदि बालिका विद्यालय / विद्या-आश्रम से बिना अनुमति के चली जाती है तो संस्था का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।
  34. विद्यालय से सम्बन्धित सभी प्रकार का पत्र- व्यवहार सहायक मुख्याधिष्ठाता गुरुकुल के नाम से ही करें।
  35. अध्यापकों, आचार्यों तथा संचालकों में संवादपूर्ण वातावरण बनाएरखने के लिए सभी छात्राओं का सहयोग वांछनीय है|
  36. प्रत्येक विद्यार्थी से प्रतिदिन न्यूनतम 1 घंटे ध्यान मौन की अपेक्षा भी की जाती है ।
  37. विशेष अवस्थाओं के अतिरिक्त किसी ब्रह्मचारिणी को गुरूकुल से बाहर अवकाश पर जाने की आज्ञा नहीं मिल सकेगी। अगर ब्रह्मचारिणी स्वंय कठिन रोगग्रस्त हो या उसके संरक्षक या कोई निकट सम्बन्धी कठिन रोग ग्रस्त हो या मृत्यु हो जाय तो अवकाश मिल सकेगा। ब्रह्मचारिणी के संरक्षक या सम्बन्धी की मृत्यु या कठिन रोगग्रस्त होने की अवस्था में अवकाश की आज्ञा 15 दिन से अधिक नहीं होगी। यदि ब्रह्मचारिणी स्वंय रोगग्रस्त हो या और कोई आवश्यक कार्य हो तो 6 माह से अधिक की छुट्टी नहीं मिलेगी। आश्रमाध्यक्ष की संस्तुति आवश्यक है|
  38. अवकाश पर जाते हुए संरक्षक को एक प्रपत्र भरना होगा कि अगर वह कन्या को ठीक समय पर नहीं पहुंचायेंगे तो उनपर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है|
  39. संरक्षक या संरक्षक द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को शिक्षाणालय में किसी विद्यार्थिनी से मिलने की आज्ञा न होगी। विशेष अवस्था में आचार्या यथोचित आज्ञा दे सकती है।
  40. छात्रा से मिलने आने वाले व्यक्तियों का सम्बन्धित छात्रा के अलावा किसी दूसरी छात्रा से मिलने का नियम नहीं हैं।संरक्षकों को चाहिये के वे पढ़ाई के समय छात्राओं को मिलने तथा बाहर बाजार आदि के लिए न बुलायें। यदि इस शिक्षणालय की कोई विद्यार्थिनी किसी ऐसे कुव्यवहार की दोषी हो जिसके कारण उसका शिक्षणालय की अन्य विद्यार्थिनियों के साथ रहना अनुचित समझा जाय तो वह शिक्षाणालय से निकाल दी जायेगी।
  41. निश्चित समयानुसार ग्रीष्म अवकाश के दिनों में ब्रह्मचारिणियां संरक्षक की प्रार्थना पर अपने गृहों को जाने की अनुज्ञा पा सकेंगी|
  42. किसी भी वाद-विवाद का न्यायिक क्षेत्र शिवगंज होगा।

    👉 गुरुकुल दिनचर्या