गौशाला


भुक्त्वा तृणानि शुष्कानि पीत्वा तोयंजलाशयात् ।

दुग्धं ददति लोकेभ्यो गावो विश्वस्य मातरः॥ – सुभाषितम्।।

 गावो विश्वस्य मातरः।अर्थात् गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है।- सुभाषितम्।।

महाभारत में भी आता हैःमातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुखप्रदाः

‘गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं।वे सभी को सुख देने वाली हैं।’ महा. अनु. 69.7||

आचार्य वाग्भट्ट के ‘अष्टांगहृदय’ ग्रंथ में उल्लेख है कि सब पशुओं के दुग्धों में गाय का दुग्ध अत्यंत बलवर्धक और रसायन है।गव्यं तु जीवनीयं रसायनम्

  गुरुकुल में देशी गायों की रक्षा, संरक्षण, संवर्द्धन,वंश-वृद्धिपालन पोषण के लिए विशाल गौशाला स्थित हैं जिसमें स्थानीय देशी नस्ल की गिर,राठी, कांकरेज आदि गायों की रहने, भ्रमण, चरण आदि की व्यवस्था है| पोषण, संवर्द्धन,वंश-वृद्धि प्राकृतिक तरीके से ही की जाती है और कृत्रिम विधियों का उपयोग नहीं होता है|बछड़ा हो या बछडी सभी को समभाव से देखकर उनके लिए पर्याप्त दूध छोड़ा जाता है| गायों के लालन-पालन, पोषणआदि में छात्रायें भीअपना समय देती हैं| गायों के शुद्ध अमृतमयदूध, छाछ व घृत से निर्मित शुद्ध शाकाहारी सात्विक आहार गुरुकुल की सात्विक दिनचर्या काअलंकार है|

गौ कृषि वाणिज्यं वैश्य स्वाभाव्जम| कुछ भूमि प रगौ आधारित कृषि खेती भी की जाती है| गो आदि पशुओ की रक्षा करने से अन्न महंगा नहीं होने पाता और देश में निर्धन को भी दूध-दही मिल सकता है|ब्रह्मा से लेकर आज तक आर्य लोग पशुओं को मारना पाप और अधर्म समझते आये हैं| गौ आदि पशुओंकी रक्षा करना आर्यों का परम धर्म है|