चरित्र निर्माण शिविर


एक वीर चरित्रवान स्त्री या पुरुष अपने परिवार ही नहीं अपितु समस्त समाज के लिए अभ्युदय करने वाला और सदियों तक मार्गदर्शक बन जाता है| छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई एक चरित्रवान, असाधारण प्रतिभा की धनी, बुद्धिमान माता थी| विदेशी आक्रान्ताओं, विधर्मियों के अत्याचार और परतंत्रता के विरुद्ध संघर्ष करने और स्वराज्य प्राप्त करने के लिए माता जीजाबाई पुत्र शिवाजी को प्रेरणादायक कहानियां सुनाकर प्रेरित करती थी और सुसंस्कार देकर एक आदर्श सम्राट की निर्मात्री भी बनी। फलस्वरूप  शिवाजी हिंदू समाज के संरक्षक और गौरव बने|  माता जीजाबाई हमारे लिए प्रातः स्मरणीय है उनका स्थान जन्मदात्री माता से भी उच्च है|

गुरुकुल द्वारा भी किशोर/किशोरी चरित्र निर्माण शिविर, व्यक्तित्व विकास शिविर, सघन साधना शिविर, योग शिविर, यज्ञ प्रशिक्षण शिविर का आयोजन समय समय पर किया जाता है|

गुरुकुल शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण विषेशता यह है कि विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करने के लिए उनकी दिनचर्या पर विशेष ध्यान दिया जाता है। विद्यार्थियों का प्रत्येक क्षण सूचीबद्ध तरीके से निर्मित होता है, जिनका पालन करना उनके अधिष्ठाताओं तथा गुरुओं का कर्तव्य होता है। इस प्रकार उद्घोष पूर्वक कहा जा सकता है कि गुरुकुल-शिक्षा ही आज भटकती हुई मानवता को कल्याण-पथ की ओर अग्रसर कर सकती है। आपकी सन्तानों का भविष्य आप सभी माता-पिता के हाथों में सुरक्षित है, निर्णय आप के हाथों में है।

आधुनिक जीवन में इतनी विलासिता, सुविधाओं के पश्चात् भी अगर जीवन दुराचारी हो, भ्रष्टाचारी हो दुर्व्यसनी हो, दुर्गुणी हो, तो ये सब आविष्कार, उत्पादन, विकास व्यर्थ ही हैं|

गुरुकुल की ओर से आर्य वीरांगना दल के शिविर लगाये जाते हैं। योग शिविर लगाने के साथ आर्यसमाजों में वैदिक सिद्धान्तों का प्रचार व प्रसार भी किया जाता है। गुरुकुल की विद्यासभा के द्वारा छात्राओं को वक्तृत्व कला में प्रवीण बनाया जाता है। ग्रामीण अंचलों में जाकर यज्ञ एवं वेद प्रचार के आयोजन सम्पन्न कराये जाते हैं।