परिधान गणवेश


   गुरुकुल में किसी भी व्यक्ति को चमड़े से बने सामान की आज्ञा नहीं है| छात्राओं के परिधान में भी चमड़े से बने कोई भी वस्तु निषेध है| जहाँ तक हो सके सूती वस्त्र ही पहने जाते हैं जिनसे शरीर और विचारों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है|

   गणवेश के रूप में विद्यालय अध्ययन कालांश के समय सूती श्वेत (सफ़ेद) दुपट्टे व गुलाबी सूट-सफ़ेद सलवार, कपडे के जूते/खडाऊं, सूती जुराब  पहने जाते हैं|उच्चवर्ग की छात्राओं के लिए गुलाबी साड़ी मय हरे रंग की पट्टी की वेशभूषा होती है|

   इस वेबसाइट की रूपरंग (Theme) भी गुरुकुल की वेशभूषा के सदृश श्वेत, गुलाबी, हरी पट्टिका और पीला/केसरिया रंगों से विभूषित की गयी है जिससे इसमें गुरुकुल का सजीव प्रतिबिम्ब द्रष्टिगोचर हो|   

उक्त विभिन्न रंगों का महत्त्व और जीवन सन्देश निम्न प्रकार है|

श्वेत (सफ़ेद) रंग: ब्रह्मचर्य जीवन के संयम, शुद्धता, सुचिता, सात्विकता, निर्मल स्वरुप, स्थिरचित्त और शांति का ध्योतक है |
केसरिया (पीला/भगवा) रंग :  त्याग, बलिदान, ऊर्जा, बल, यज्ञाग्नि,  ज्ञान की परिपक्वता और वैराग्य का प्रतीक है|
गुलाबी रंग: सौम्य, सरल स्वभाव, उमंग, कमल पुष्प की भांति अनासक्त रहने का द्योतक है|
हरा रंग: खुशहाली, उत्साह, स्फूर्ति का सूचक है|

   कमल का पुष्प भारत का राष्ट्रीय फूल भी है| इस फूल की पंखुड़ियाँ प्राय: श्वेत और गुलाबी होती हैं|
कमल का पुष्प जल-कीचड़-दलदल में खिलते हुए भी अपनी पंखुड़िययों को कीचड़ से अलग रखता है अर्थात कीचड़ से आसक्त नहीं होता है|
ऐसे ही मनुष्य को भी चाहिए कि संसार में रहते हुए भी मुक्त जीवों के समान सांसारिक विषय-भोगों से अनासक्त, कमलवत् निर्लेप जीवनयापन करे और जीवन उत्कर्ष को प्राप्त हो|

 

  या तो मैं जग से दूर रहूँ,
  और जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ,
  जैसे जल में कमल का फूल रहे|