प्रतीक चिह्न

 


गुरुकुल की महत्ता को सांकेतिक भाषा में चित्रित करने के लिए यह प्रतीकात्मक चिह्न बनाया गया है|
गुरुकुल का यह प्रतीक चिह्न गुरुकुल की समस्त गति विधियों का ज्ञापक है।

 

प्र पूषणं वृणीमहे युज्याय पुरूवसुम् । स शक्र शिक्ष पुरुहूत नो धिया तुजे राये विमोचन ॥  – ऋग्वेद मण्डल: 8 सूक्त: 4 मन्त्र: 15 ||

शब्दार्थ: अर्थात् (युज्याय) किसी भी उपलब्धि से युक्त होने के लिए (पुरूवसुम् ) बहुत ऐश्वर्य वाले या बहुत धन-धान्य देने वाले (पूषणं) पोषक ईश्वर को (प्र वृणीमहे) स्वीकार करते हैं, उसका वर्णन करते हैं| (स:) वह उपर्युक्त गुण वाले (पुरुहूत) बहुतों  से स्तुत है| (शक्र) हे सर्वसामर्थ्यवान् ईश्वर (तुजे) बल के लिए, विघ्न हटाने के लिए, (राये) धन-धान्य की प्राप्ति के लिए, शिक्षादि आदान प्रदान के सामर्थ्य के लिए (न:) हमें (धिया) सद्बुद्धि से युक्त होने के लिए आप (प्र शिक्ष) उत्तम शिक्षा दो और (विमोचन) दु:खों से छुड़ाओ|

भावार्थ: ईश्वर समस्त धनों का स्वामी है, पोषक है| किसी भी उपलब्धि के लिए ईश्वर की ही स्तुति की जाती है| ईश्वर सर्वशक्तिमान है, सभी ज्ञानी उसकी स्तुति करते हैं| बल धन शिक्षा का सामर्थ्य ईश्वर ही देता है, समस्त दु:खों से वही छुड़ाता है|

 

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण एवं रूपांतरण (English  Transliteration and  Translation):

pra pūṣaṇaṃ vṛṇīmahe yujyāya purūvasum |
sa śakra śikṣa puruhūta no dhiyā tuje rāye vimochana ||Rigved 8/4/15||

Meaning:

Dear Men and Women! The Almighty Omnipotent Almighty Lord is full of ample wealth and pure knowledge and is worshipped by so many wise people. For firm friendship, you should elect and embrace him and only him and none else.
So, we also bow and meditate upon the delightful, blissful supreme to guide our intellect to achieve riches and strength and destroy enemies to get rid of sorrows and griefs.