वार्षिकोत्सव


प्रति 2 वर्षपश्चात्सत्र के अंत में भव्य वार्षिकोत्सव का आयोजन यज्ञ के साथ किया जाता है| यज्ञ में बाहर से कई भजनोपदेशक, वेद मनीषी, धर्मानुरागी महानुभावों को सादर आमंत्रित किया जाता है| महोत्सव में यजमान बनने के इच्छुक सज्जन पूर्व में अपना संकल्प अंकित करा देते हैं| अभ्यागत चार दिन पूर्व अपने आने वालों की संख्या की सूचना कार्यालय को दे देते हैं|

समारोह में कन्याओं ब्रह्म्चारिणियों द्वारा शास्त्रीय, बौद्धिक तथा शारीरिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं जिसमें प्रभु भक्ति गीत,मंत्र गायन, गीत, संस्कृत भाषण, संस्कृत गीत, तुलनात्मक ऋषि जीवनी, वेदपाठ, अष्टाध्यायी अन्त्याक्षरी, स्वमंतव्यामंतव्यप्रकाश सिद्धांत भाषण आदि सम्मिलित हैं| मेहमानऔर अतिथि आशीर्वाद देकर और उत्साहवर्धन कर कार्यक्रम आयोजन की शोभा बढ़ाते हैं|

 अभ्यागतों के लिए निवास, भोजन, ऋषि लंगर आदि की व्यवस्था गुरुकुल की प्रबंध समिति द्वारा सकुशल किया जाता है| दानदाता अपनी स्वेच्छा से अपना सहयोग देते हैं जिससे कार्यक्रम का सुचारू संचालन होता है|