निम्न भावी परियोजनायें विचाराधीन हैं जिनके हेतु इच्छुक भामाशाह अपना सहयोग अंशदान तन-मन-धन किसी भी रूप में कर सकते हैं| गुरुकुल को अपने कार्यों को सुगमता से चलाने व उसे प्रभावी रूप देने के लिये निम्न साधनों की आवश्यकता है जिसके लिये दानी महानुभावों से आशा की जाती है कि सहयोग करेंगे|
- ध्यानयोग कक्ष सभागार का निर्माण
- वेद प्रचार वाहन दल तैयार करना
- वाचनालय भवन निर्माण
- शारीरिक व्यायाम, आत्म रक्षा के साधन व सामग्री का विस्तार
- प्राकृतिक आयुर्वेदिक चिकित्सा भवन का निर्माण
- गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के विस्तार हेतु नवीन शाखाओं की स्थापना करना
- विशाल वैदिक संग्रहालय की स्थापना
- प्राच्य विद्या शोध केन्द्र की स्थापना
- आयुर्वैदिक प्राकृतिक वैद्यशाला चिकित्सालय की स्थापना
- औषधीय पौधशाला का निर्माण
- शास्त्रार्थ विद्यापीठ की स्थापना
- साहित्य प्रकाशन विभाग की स्थापना जिसके माध्यम से संस्कृत, वेद, दर्शन, व्याकरण से संबन्धित साहित्य, लघु पुस्तिकाओं का वृहद स्तर पर मुद्रण, प्रकाशन करना|
- परिशिष्ट
महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती (१८२४-१८८३) –ओज और तेज से परिपूर्ण शुद्ध चैतन्य ब्रह्मचारी, वेद मंत्रदृष्टा ऋषि, आधुनिक भारत में वेदों के पुनर्स्थापक, आध्यात्मिक उत्कर्ष के पर्याय, गहन चिंतक और महान समाज-सुधारक, प्रेरणा स्त्रोत|